Poetry
Jo Hum MeiN Tum MeiN
तुम्हें भुलाने की हुई हमसे कोई भी दुआ नहींकोशिश नहीं की, कभी मुनासिब लगा नहींमै पूरी सच्चाई से निभा रहा हूँ उस करार कोए जान-ए-दिल जो हम में तुम में हुआ ही नहीं
तेरी आँखों के किनारे
तेरी आँखों के किनारेअपने सपनों की कश्ती छोड़ आया हूँतूने दिल से बेघर कियामै अपनी बसाई बस्ती छोड़ आया हूँ
Uski Ujli Hatheli Pe
उस की उजली हथेली परमेहंदी से बना एक चाँद थावहीं क़रीब में एक सितारे परमेरी आरज़ू का ख़्वाब था…
To, Hairat ki Baat NahiN
मशहूर हो चुके हैंमेरे दर्द के सब अफ़सानेकोई मुझसे लिपट के रो देतो कोई हैरत नहीं
Ek shaam, ek khwaab, aur thodi se fursat
Badi lambi saari baatein, kehni hai hasrat se
Tum bas jawaab dena, palkoN ki harqat se
Bas aankhoN pe rakhene, hum nazareiN der tak
Aa jana kabhi – dono -, baithhenge der tak