Taqdeer ki likhawaat bhi,
Charagar jaisi hoti hai
Achchaa hi likhaa hotaa hai
Bas samajh kuchh nahiN aataa
Prashant Poetry
मानिंद-ए-आईना
बुरे से बुरा, और अच्छे से अच्छा रहता हूँमै अब लोगों में मानिंद-ए-आईना रहता हूँ
Taaza Gazal
मै काफ़ी जज़्बे निचोड़ लाया हूँसूखे सब सपने, तोड़ लाया हूँआँखों से भिगोकर, पलकों पे सुखाता हूँज़रा रुकिए, अभी ताज़ा ग़ज़ल सुनाता हूँ
NigaahoN Ke Nishaane Se
बहुत मुश्किल है बच पानानिगाहों के निशाने सेये अक्सर करती हैं घायलमिलने के बहाने से
Oh, Duniya Ka Dar
देखकर भी मुझेमोड़ ली थी नज़रउफ! दिल की मजबूरीओह, दुनिया का डर
Jo Hum MeiN Tum MeiN
तुम्हें भुलाने की हुई हमसे कोई भी दुआ नहींकोशिश नहीं की, कभी मुनासिब लगा नहींमै पूरी सच्चाई से निभा रहा हूँ उस करार कोए जान-ए-दिल जो हम में तुम में हुआ ही नहीं
Wo nigaaheiN noor-e-mehar jaise
Kahin mehar kahin qehar jaise
Wo aankhein toofaan ki lehar jaise