उठ चुकीं हैं देख लो, धूप की रौनक़ें पहले ही
बची हुई रौशनी में, एक शाम कहो तो बना दूँ
Love Poetry
Yeh ZulfoN Ki Badlee
सुबहा की फ़िज़ा में नशा घोलती हो
ये ज़ुल्फ़ों की बदली जो तुम खोलती हो
Woh AankheiN
वो आँखें भुला दें कैसे कहो
किसी भी ग़ज़ल में उतरती नहीं
जो उठते हैं पलकों के परदे ज़रा
निशाने से पहले ठहरतीं नहीं
Tere Andaaz
मेरे अल्फ़ाज़ में
तेरे अन्दाज़ गर
शामिल ना होते
मुझे ख़यालों के
ये सब अहसास
हासिल ना होते
Tum Faqat Koi Pari NahiN Ho
तुम हो हसीं तो हम हैं दीवाने
ये किसका क़ुसूर है
तुम फ़क़त कोई परी नहीं हो
कुछ ख़ास तो ज़रूर है
Tanhaai
मैने ख़ुद ही चुनी थी
सो मैने ये पाई है
हूँ मै रास्तों पे जिनकी
मंज़िल ही तनहाई है
Uski AankheiN
उसकी आँखें जो ठहर जाती हैं
मेरी आँखों पर
मुद्दतों तक मुझे तन्हाई से निजात होता है
AankheiN Sunaa Dee Humne
दिल की जो भी हसरत थी
गुनगुना दी हमने
लबों को वो ना समझे
आँखें सुना दी हमने
Wo AankhoN meiN Rahta bhi nahiN
वो आँखों में रहता भी नहीं
वो आँखों से बहता भी नहीं
वो ख़फ़ा है आँखों की नमी पर
वो आँखों को सहता भी नहीं
Dil to toot_ta hi rahta hai
तुम ख़्वाबों को तवज्जो दिया करो मुसाफ़िर
दिल तो टूटता ही रहता है