जान-ए-ग़ज़ल 22 November 2018 by Prashant V Shrivastava तुम्हें सोच के, लिखे थे जो, वो अलफ़ाज़ ग़ज़ल हो गए फिर यूँ हुआ तुम मिल गए और जान-ए-ग़ज़ल हो गए
मै दीवाना हो गया 29 July 2018 by Prashant V Shrivastava जो ये कहानी हो गई, तो वो फ़साना हो गया तुम बेगाने हो गए, मै दीवाना हो गया