ashq

Ashq

वीरानों से मुहब्बत की है
तनहाइयों को जिया है मैने
हर कतरा महफ़ूज़ रखा है
कब अश्क़ बहने दिया है मैने

Mai Ashq HooN

उभरना मजबूरी हैछलकने से डरता हूँमै अश्क़ हूँ और मैज़ाहिर होने से डरता हूँ