सदाक़त में भी ज़िंदा हो, बड़ी बात है
यहाँ तो अच्छा होना ही बुरी बात है
Poetry by Prashant
Woh AankheiN
वो आँखें भुला दें कैसे कहो
किसी भी ग़ज़ल में उतरती नहीं
जो उठते हैं पलकों के परदे ज़रा
निशाने से पहले ठहरतीं नहीं
Khwaab Dekha Keejiye
फूलों से मिलिये
चाँद से बातें कीजिए
हक़ीक़त में सुंदर होते हैं
ख़्वाब देखा कीजिए
Khoobsurati Ki Intehaa
वो गहरी ज़ुल्फ़ों के छल्लों का उसके रुख़सार से खेलना
जन्नत की ख़ूबसूरती की इंतहा, इस मंज़र का क़तरा भर है
Tere Andaaz
मेरे अल्फ़ाज़ में
तेरे अन्दाज़ गर
शामिल ना होते
मुझे ख़यालों के
ये सब अहसास
हासिल ना होते
Ye Haqiqat
मेरी हक़ीक़त में तू भले ही फ़क़त एक ख़्वाब है
मगर यक़ीन जान, मै ये वक़्त बदलना ही नहीं चाहता
LaboN se ChingaariyaaN
सुनते थे गुल-ओ-गुलफ़ाम हैं
और मय छलकी रहती है
उन सुर्ख़ लबों से पर सच में
चिंगरियाँ उड़ती रहतीं हैं
Tanhaai
मैने ख़ुद ही चुनी थी
सो मैने ये पाई है
हूँ मै रास्तों पे जिनकी
मंज़िल ही तनहाई है
Dil
कहाँ मै दिल की,,,सुनता ना था
कहाँ मै दिल की,,,राहों पे हूँ
Fakira
मै वफ़ाओं का मुन्तज़र
और जफ़ाओं का ये शहर
सच ही कहता था फ़क़ीरा
तेरा कुछ हो नहीं सकता