Tujh Dariya MeiN Utar Gaye | Hindi Shayari | Prashant
देखे तुम्हारे जलवे
अपनी हस्ती से मुकर गए
हम समंदर थे मगर
तुझ दरिया में उतर गए
देखे तुम्हारे जलवे
अपनी हस्ती से मुकर गए
हम समंदर थे मगर
तुझ दरिया में उतर गए
फूलों से मिलिये
चाँद से बातें कीजिए
हक़ीक़त में सुंदर होते हैं
ख़्वाब देखा कीजिए
वो गहरी ज़ुल्फ़ों के छल्लों का उसके रुख़सार से खेलना
जन्नत की ख़ूबसूरती की इंतहा, इस मंज़र का क़तरा भर है
मेरी हक़ीक़त में तू भले ही फ़क़त एक ख़्वाब है
मगर यक़ीन जान, मै ये वक़्त बदलना ही नहीं चाहता
Bahut mushkil, hai bach paana
NigaahoN ke nishaane se
Yeh aksar karti haiN ghaayal
Milne ke, bahaane se
Jo Ishq tum se ho gayaa hai
Ye kissa ek gunaah bhi hai
Ke chamakti huiN shaamoN ka
Kuchh hissa siyaah bhi hai
तुम्हें भुलाने की हुई हमसे कोई भी दुआ नहींकोशिश नहीं की, कभी मुनासिब लगा नहींमै पूरी सच्चाई से निभा रहा हूँ उस करार कोए जान-ए-दिल जो हम में तुम में हुआ ही नहीं