घुल चुकी है
तुम्हारी आवाज़ की ख़ुशबू
इन हवाओं में
अब हम हर साँस में
तुम्हें सुन सकते हैं
Short Poetry
Rukhsaar pe
रूख़्सार पे जो भँवर का नज़ारा हुआ है
फ़स्ल-ए-गुल बहाल हो, इशारा हुआ है
अभी रोके रखना बहारों को आसमान पे
अभी एक नाज़नीं को ज़मीं पे उतारा हुआ है
Yaa Kinara KareiN
तुम्हें किस तरहा से पुकारा करें
कोई नाम लें या इशारा करें
तुम्हारी आँखों से जो रिश्ते हो चले हैं
डूब के जाँ बचाएँ, या किनारा करें
Un Dino ki hai
जब कहते थे
मुहब्बत फ़क़त
दो दिलों की है,
ये तस्वीर
उन्हीं
दिनों की है
हैरत-ए-तन्हाई
थक गया हूँ मै हर रोज़ की
हैरत-ए-तन्हाई से
इसकी आदत हो जाए
तो कुछ आसानी हो
Kitne Khayaal Muntshir HaiN
कितने ख़याल मुन्तशिर
कितने ख़याल मुन्तशिर हैं
मेरे छत की मुँडेर पर
वो गली से गुज़रती है
मै देखता सोचता रहता हूँ
Bekhayaali
बेख़याली का आलम जब हो
पैरों में आसमान हो जाता है
जिसे इश्क़ नहीं भी हुआ हो
उसे भी इश्क़ का गुमान हो जाता है
Chal chaand pe chalte haiN
चल चाँद पे चलते हैं, एक गुलेल लेकर
आज सितारों के शिकार का बड़ा मन है
मयखाने से
ये शहर तेज़ तर्रार है
चलता है आगे ज़माने से
अपनी तैयारी पूरी है
ले आओ सौदा मैखाने से
रस्म
बाक़ायदा मेरे ग़मों की
हर शाम बज़्म होती है
जिसमें तेरी यादें दोहराना
एक लाज़मी सी रस्म होती है