मै वफ़ाओं का मुन्तज़र
और जफ़ाओं का ये शहर
सच ही कहता था फ़क़ीरा
तेरा कुछ हो नहीं सकता
Short Poetry
Chaand Nazaakat Samete Hue
हुस्न-ओ-बहार की, चादर लपेटे हुए
मैंने चाँद देखा है, नज़ाकत समेटे हुए
Uski AankheiN
उसकी आँखें जो ठहर जाती हैं
मेरी आँखों पर
मुद्दतों तक मुझे तन्हाई से निजात होता है
AankheiN Sunaa Dee Humne
दिल की जो भी हसरत थी
गुनगुना दी हमने
लबों को वो ना समझे
आँखें सुना दी हमने
Har Patthar ka Jawab
अभी उलझा हूँ दिल के पुर्ज़े सम्भालने में
मगर हर पत्थर का जवाब मै दूँगा ज़रूर
Wo AankhoN meiN Rahta bhi nahiN
वो आँखों में रहता भी नहीं
वो आँखों से बहता भी नहीं
वो ख़फ़ा है आँखों की नमी पर
वो आँखों को सहता भी नहीं
Ek Tarfa Muhabbat
एक तरफ़ा मुहब्बत थी
फ़ैसला बाहमी क्या होता
जिसमें खारे अश्क़ मिलाये
वो दरिया चाशनी क्या होता
Dil to toot_ta hi rahta hai
तुम ख़्वाबों को तवज्जो दिया करो मुसाफ़िर
दिल तो टूटता ही रहता है
Zindagi, teri marzi
जो ये नहीं तो ये ही सही
ज़िन्दगी तेरी मर्ज़ी ही सही
Meri AankhoN se
मेरी आँखों से पढ़ लिया करो
मेरे जज़्बात की हिकायतें
अल्फ़ाज़ कितने भी उलझे हों
लोग समझ ही जाया करते हैं