वो आँखें भुला दें कैसे कहो
किसी भी ग़ज़ल में उतरती नहीं
जो उठते हैं पलकों के परदे ज़रा
निशाने से पहले ठहरतीं नहीं
वो आँखें भुला दें कैसे कहो
किसी भी ग़ज़ल में उतरती नहीं
जो उठते हैं पलकों के परदे ज़रा
निशाने से पहले ठहरतीं नहीं
उसकी आँखें जो ठहर जाती हैं
मेरी आँखों पर
मुद्दतों तक मुझे तन्हाई से निजात होता है
दिल की जो भी हसरत थी
गुनगुना दी हमने
लबों को वो ना समझे
आँखें सुना दी हमने
दिल की जो भी हसरत थी
गुनगुना दी हमने
लबों को वो ना समझे
आँखें सुना दी हम ने
Wo Kuchh kahe to, aankheiN muskuraati haiN
Aankh boleiN to hothhoN ko hasieN aati hai
Badaa hi uljha uljha hai
Jo ye andaaz-e-bayaaN hai