tanhaai

चाँद की बातें

कभी चाँद की बातें होतीं हैं
कभी ज़िकर तुम्हारा होता है
यूँ ही तनहाई के अंधेरों में
गुज़र हमारा होता

Tanhaai

मैने ख़ुद ही चुनी थी
सो मैने ये पाई है
हूँ मै रास्तों पे जिनकी
मंज़िल ही तनहाई है