Wo AankhoN meiN Rahta bhi nahiN
वो आँखों में रहता भी नहीं
वो आँखों से बहता भी नहीं
वो ख़फ़ा है आँखों की नमी पर
वो आँखों को सहता भी नहीं
Ek Tarfa Muhabbat
एक तरफ़ा मुहब्बत थी
फ़ैसला बाहमी क्या होता
जिसमें खारे अश्क़ मिलाये
वो दरिया चाशनी क्या होता
Meri AankhoN se
मेरी आँखों से पढ़ लिया करो
मेरे जज़्बात की हिकायतें
अल्फ़ाज़ कितने भी उलझे हों
लोग समझ ही जाया करते हैं