Jo Hum MeiN Tum MeiN

तुम्हें भुलाने की हुई हमसे कोई भी दुआ नहींकोशिश नहीं की, कभी मुनासिब लगा नहींमै पूरी सच्चाई से निभा रहा हूँ उस करार कोए जान-ए-दिल जो हम में तुम में हुआ ही नहीं

हमें अपनी हिंदी ज़बाँ चाहिये

हमें अपनी हिंदी ज़बाँ चाहिये

देवी नागरानी
तिरंगा हमारा हो ऊँचा जहाँ
निगाहों में वो आसमाँ चाहिये

खिले फूल भाषा के ‘देवी’ जहाँ
उसी बाग़ में आशियाँ चाहिये.