NigaahoN ke Nishaane se

  Prashant V Shrivastava (Musafir) NigaahoN ke Nishaane se Bahut mushkil, hai bach paana nigaahoN ke, nishaane se Ye aksar karti haiN ghaayal milne ke, bahaane se बहुत मुश्किल, है बच पाना, निगाहों के, निशाने से ये अक्सर, करती हैं घायल, मिलने के, बहाने से

Taaza Gazal

मै काफ़ी जज़्बे निचोड़ लाया हूँसूखे सब सपने, तोड़ लाया हूँआँखों से भिगोकर, पलकों पे सुखाता हूँज़रा रुकिए, अभी ताज़ा ग़ज़ल सुनाता हूँ