Chaand Nazaakat Samete Hue

हुस्न-ओ-बहार की, चादर लपेटे हुए
मैंने चाँद देखा है, नज़ाकत समेटे हुए

Uski AankheiN

उसकी आँखें जो ठहर जाती हैं
मेरी आँखों पर
मुद्दतों तक मुझे तन्हाई से निजात होता है

AankheiN Sunaa Dee Humne

दिल की जो भी हसरत थी
गुनगुना दी हमने
लबों को वो ना समझे
आँखें सुना दी हमने

Wo AankhoN meiN Rahta bhi nahiN

वो आँखों में रहता भी नहीं
वो आँखों से बहता भी नहीं
वो ख़फ़ा है आँखों की नमी पर
वो आँखों को सहता भी नहीं

Meri AankhoN se

मेरी आँखों से पढ़ लिया करो
मेरे जज़्बात की हिकायतें
अल्फ़ाज़ कितने भी उलझे हों
लोग समझ ही जाया करते हैं

Iltijaa

कहाँ तक इल्तिजा की जाए
ये आरज़ू अब भुला दी जाए

हो गई आदत अंधेरों की
क्यों ना शम्मा बुझा दी जाए

Prashant V Shrivastava (Musafir)

Shaayari

मुद्दतों से ज़माने के दबे कुचले
ख़यालात को रास्ता हो जाता है
शायरी ज़माने को ख़ुश रखती हैं
और मेरा दिल हल्का हो जाता हैं