Kitne Khayaal Muntshir HaiN

कितने ख़याल मुन्तशिर
कितने ख़याल मुन्तशिर हैं
मेरे छत की मुँडेर पर
वो गली से गुज़रती है
मै देखता सोचता रहता हूँ

Bekhayaali

बेख़याली का आलम जब हो
पैरों में आसमान हो जाता है
जिसे इश्क़ नहीं भी हुआ हो
उसे भी इश्क़ का गुमान हो जाता है

मयखाने से

ये शहर तेज़ तर्रार है
चलता है आगे ज़माने से
अपनी तैयारी पूरी है
ले आओ सौदा मैखाने से