Rukhsaar pe

रूख़्सार पे जो भँवर का नज़ारा हुआ है
फ़स्ल-ए-गुल बहाल हो, इशारा हुआ है
अभी रोके रखना बहारों को आसमान पे
अभी एक नाज़नीं को ज़मीं पे उतारा हुआ है