Taqdeer Ki Likhawat
Taqdeer ki likhawaat bhi,
Charagar jaisi hoti hai
Achchaa hi likhaa hotaa hai
Bas samajh kuchh nahiN aataa
Taqdeer ki likhawaat bhi,
Charagar jaisi hoti hai
Achchaa hi likhaa hotaa hai
Bas samajh kuchh nahiN aataa
मै काफ़ी जज़्बे निचोड़ लाया हूँसूखे सब सपने, तोड़ लाया हूँआँखों से भिगोकर, पलकों पे सुखाता हूँज़रा रुकिए, अभी ताज़ा ग़ज़ल सुनाता हूँ
बहुत मुश्किल है बच पानानिगाहों के निशाने सेये अक्सर करती हैं घायलमिलने के बहाने से
तुम्हें भुलाने की हुई हमसे कोई भी दुआ नहींकोशिश नहीं की, कभी मुनासिब लगा नहींमै पूरी सच्चाई से निभा रहा हूँ उस करार कोए जान-ए-दिल जो हम में तुम में हुआ ही नहीं