pecificcreation
रस्म
बाक़ायदा मेरे ग़मों की
हर शाम बज़्म होती है
जिसमें तेरी यादें दोहराना
एक लाज़मी सी रस्म होती है
Bangaali AankheiN
क़ातिलाना, मेहर-ओ-बेरहमी है
ख़ुशगुमानी, कभी ग़लत फहमी है
उफ़्फ़! बंगाली आँखों की
हर इक अदा, तिलस्मी है
Banjar
मुहब्बत एक नशा है
मुहब्बत एक नशा भी है
दिल जिगर की बरबादी भी
जहाँ एक बार अफ़ीम हो जाए
वो ज़मीं बंजर हो जाती है
Paikar
अंधेरों की तरफ़ देख कर
अक्सर खामोशियाँ सुनता हूँ
कोई मेरे ख़्वाब का पैकर है
मै भी सपना किसी की आँख का हूँ