Yeh ZulfoN Ki Badlee 28 June 2022 by Prashant V Shrivastava सुबहा की फ़िज़ा में नशा घोलती हो ये ज़ुल्फ़ों की बदली जो तुम खोलती हो
Khoobsurati Ki Intehaa 21 June 2022 by Prashant V Shrivastava वो गहरी ज़ुल्फ़ों के छल्लों का उसके रुख़सार से खेलना जन्नत की ख़ूबसूरती की इंतहा, इस मंज़र का क़तरा भर है