Ashq
वीरानों से मुहब्बत की है
तनहाइयों को जिया है मैने
हर कतरा महफ़ूज़ रखा है
कब अश्क़ बहने दिया है मैने
वीरानों से मुहब्बत की है
तनहाइयों को जिया है मैने
हर कतरा महफ़ूज़ रखा है
कब अश्क़ बहने दिया है मैने
तुम्हें देखते ही जैसे शरारत से भर जातीं हैं
ये हवाएँ जो ज़ुल्फ़ें हटाते हुए, लब खिलातीं हैं
इश्क़ में गुज़रे हुए तमाम लम्हे
हासिल-ए-ज़िंदगी साबित हुए
तुमने जो दुनियादारी सिखा दी
हम भी नादानियों से वाक़िफ़ हुए
मुद्दतों से ज़माने के दबे कुचले
ख़यालात को रास्ता हो जाता है
शायरी ज़माने को ख़ुश रखती हैं
और मेरा दिल हल्का हो जाता हैं
गुज़रे पुराने लमहे चुनेयादों को चमकदार कियाएक उम्र गुज़ारी है ऐसेयूँ तेरा इंतज़ार किया Guzare puraane lamhe chune YaadoN ko chamakdaar kiyaaEk umra guzaari hai aise YouN tera intzaar kiyaa
आँखों में नींद का बुलबुला सा था
ज़रा आँख खुली तो कहीं उड़ गया
उसके जाते ही याद का क़ाफ़िला आया
फिर ना नींद लौटी मेरी ना तेरी याद गई