Aye Nazar
पलकों में पिघले सपनों का मलबा
अब जो सख़्त हो चला है
ए नज़र ज़रा बाहर देख के बता
शायद उसकी यादों का वक़्त हो चला है
पलकों में पिघले सपनों का मलबा
अब जो सख़्त हो चला है
ए नज़र ज़रा बाहर देख के बता
शायद उसकी यादों का वक़्त हो चला है
वीरानों से मुहब्बत की है
तनहाइयों को जिया है मैने
हर कतरा महफ़ूज़ रखा है
कब अश्क़ बहने दिया है मैने
तुम्हें देखते ही जैसे शरारत से भर जातीं हैं
ये हवाएँ जो ज़ुल्फ़ें हटाते हुए, लब खिलातीं हैं
इश्क़ में गुज़रे हुए तमाम लम्हे
हासिल-ए-ज़िंदगी साबित हुए
तुमने जो दुनियादारी सिखा दी
हम भी नादानियों से वाक़िफ़ हुए
मुद्दतों से ज़माने के दबे कुचले
ख़यालात को रास्ता हो जाता है
शायरी ज़माने को ख़ुश रखती हैं
और मेरा दिल हल्का हो जाता हैं
गुज़रे पुराने लमहे चुनेयादों को चमकदार कियाएक उम्र गुज़ारी है ऐसेयूँ तेरा इंतज़ार किया Guzare puraane lamhe chune YaadoN ko chamakdaar kiyaaEk umra guzaari hai aise YouN tera intzaar kiyaa
आँखों में नींद का बुलबुला सा था
ज़रा आँख खुली तो कहीं उड़ गया
उसके जाते ही याद का क़ाफ़िला आया
फिर ना नींद लौटी मेरी ना तेरी याद गई