Poetry
Jeene ka shauq rakhte haiN
Tumhaare ashq sabhi, peene ka shauq rakhte haiN
Ishq ke mausam mein, jeene ka shauq rakhte haiN
हमें अपनी हिंदी ज़बाँ चाहिये
देवी नागरानी
तिरंगा हमारा हो ऊँचा जहाँ
निगाहों में वो आसमाँ चाहिये
खिले फूल भाषा के ‘देवी’ जहाँ
उसी बाग़ में आशियाँ चाहिये.