तुम्हें भुलाने की हुई हमसे कोई भी दुआ नहीं
कोशिश नहीं की, कभी मुनासिब लगा नहीं
मै पूरी सच्चाई से निभा रहा हूँ उस करार को
ए जान-ए-दिल जो हम में तुम में हुआ ही नहीं
तुम्हें भुलाने की हुई हमसे कोई भी दुआ नहीं
कोशिश नहीं की, कभी मुनासिब लगा नहीं
मै पूरी सच्चाई से निभा रहा हूँ उस करार को
ए जान-ए-दिल जो हम में तुम में हुआ ही नहीं