Short Poetry By Prashant V Shrivastava on January 16, 2019 • ( 0 ) मेरी आवाज़ की ख़राश सुन के उसने पूछा कुछ टूटा तो नहीं मैंने सीने पर हाथ रख के कहा, नहीं, कुछ भी तो नहीं