हमें अपनी हिंदी ज़बाँ चाहिये
देवी नागरानी
तिरंगा हमारा हो ऊँचा जहाँ
निगाहों में वो आसमाँ चाहिये
खिले फूल भाषा के ‘देवी’ जहाँ
उसी बाग़ में आशियाँ चाहिये.
देवी नागरानी
तिरंगा हमारा हो ऊँचा जहाँ
निगाहों में वो आसमाँ चाहिये
खिले फूल भाषा के ‘देवी’ जहाँ
उसी बाग़ में आशियाँ चाहिये.
sarhad ki choti se leker sagar ki god tak
bhikara hun jarra jarra
main har kahin