मै काफ़ी जज़्बे निचोड़ लाया हूँ
सूखे सब सपने, तोड़ लाया हूँ
आँखों से भिगोकर, पलकों पे सुखाता हूँ
ज़रा रुकिए, अभी ताज़ा ग़ज़ल सुनाता हूँ
मै काफ़ी जज़्बे निचोड़ लाया हूँ
सूखे सब सपने, तोड़ लाया हूँ
आँखों से भिगोकर, पलकों पे सुखाता हूँ
ज़रा रुकिए, अभी ताज़ा ग़ज़ल सुनाता हूँ