GaoN Ki GaliyaaN Prashant V Shrivastava

GaonN ki GaliyaN by Prashant V Shrivastava

सुबहों को ओस देखिए
रातों को जुगनू ढूँढिये
शहर से छुट्टी लेकर कभी
गाँवों की गलियाँ पूछिए

पगडंडियों पर वक़्त भी
बहुत सम्हल के चलता है
नदी किनारे मिट्टी पर
बहुत फिसल के चलता है
गीली चिकनी मिट्टी में दबी
कितनी सदियाँ हैं पूछिए
शहर से छुट्टी लेकर कभी
गाँवों की गलियाँ पूछिए

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