इन्हे फिर से हरा कर दो By Prashant V Shrivastava on April 16, 2019 • ( 0 ) कुछ पत्ते उगे थे ताबिर में तुम्हारे हरफ़-दर-हरफ़ ये मुंतज़ीर थे तुम्हारे