सुबहों को ओस देखिए
रातों को जुगनू ढूँढिये
शहर से छुट्टी लेकर कभी
गाँवों की गलियाँ पूछिए
पगडंडियों पर वक़्त भी
बहुत सम्हल के चलता है
नदी किनारे मिट्टी पर
बहुत फिसल के चलता है
गीली चिकनी मिट्टी में दबी
कितनी सदियाँ हैं पूछिए
शहर से छुट्टी लेकर कभी
गाँवों की गलियाँ पूछिए