पलकों में पिघले सपनों का मलबा
अब जो सख़्त हो चला है
ए नज़र ज़रा बाहर देख के बता
शायद उसकी यादों का वक़्त हो चला है
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Ashq
वीरानों से मुहब्बत की है
तनहाइयों को जिया है मैने
हर कतरा महफ़ूज़ रखा है
कब अश्क़ बहने दिया है मैने
Tumhaare Lab
तुम्हें देखते ही जैसे शरारत से भर जातीं हैं
ये हवाएँ जो ज़ुल्फ़ें हटाते हुए, लब खिलातीं हैं
Jugnoo
धूप होगी सारा दिन
हम भी ग़म छुपाएँगे
शाम होते ही पलकों के
जुगनू जाग जाएँगे
Chhuan
ये जो मै एक मुट्ठी सी नहीं खोलता कभी
इसमें उसके चेहरे की छुअन जमा है
Ishqa meiN
इश्क़ में गुज़रे हुए तमाम लम्हे
हासिल-ए-ज़िंदगी साबित हुए
तुमने जो दुनियादारी सिखा दी
हम भी नादानियों से वाक़िफ़ हुए
Shaayari
मुद्दतों से ज़माने के दबे कुचले
ख़यालात को रास्ता हो जाता है
शायरी ज़माने को ख़ुश रखती हैं
और मेरा दिल हल्का हो जाता हैं
AankheiN Sunaa Dee
दिल की जो भी हसरत थी
गुनगुना दी हमने
लबों को वो ना समझे
आँखें सुना दी हम ने
YouN teraa intzaar kiyaa
गुज़रे पुराने लमहे चुनेयादों को चमकदार कियाएक उम्र गुज़ारी है ऐसेयूँ तेरा इंतज़ार किया Guzare puraane lamhe chune YaadoN ko chamakdaar kiyaaEk umra guzaari hai aise YouN tera intzaar kiyaa
Na neend lauti
आँखों में नींद का बुलबुला सा था
ज़रा आँख खुली तो कहीं उड़ गया
उसके जाते ही याद का क़ाफ़िला आया
फिर ना नींद लौटी मेरी ना तेरी याद गई