- Ke Neend Aa Jaayeby Prashant V Shrivastavaहमने सितारों से हाथ हैं जलाये हमने उजालों से चाँद हैं बुझाये अये ज़िंदगी अब इतनी इल्तिजा है इतना थका दे के नींद आ जाये
- Tujh Dariya MeiN Utar Gayeby Prashant V Shrivastavaदेखे तुम्हारे जलवे अपनी हस्ती से मुकर गए हम समंदर थे मगर तुझ दरिया में उतर गए
- Qaabil-e-Dushmaniby Prashant V Shrivastavaलोग ऐसे हैं के कोई हमनशीं नहीं होता आदमी की शक्ल में भी कोई आदमी नहीं होता लौटा दिया जो आए थे दरखास्त लेकर अब हर कोई तो काबिल-ए-दुश्मनी नहीं होता
- चाँद की बातेंby Prashant V Shrivastavaकभी चाँद की बातें होतीं हैं कभी ज़िकर तुम्हारा होता है यूँ ही तनहाई के अंधेरों में गुज़र हमारा होता
- Dhoop Ki RaunakeiNby Prashant V Shrivastavaउठ चुकीं हैं देख लो, धूप की रौनक़ें पहले ही बची हुई रौशनी में, एक शाम कहो तो बना दूँ
- Yeh ZulfoN Ki Badleeby Prashant V Shrivastavaसुबहा की फ़िज़ा में नशा घोलती हो ये ज़ुल्फ़ों की बदली जो तुम खोलती हो
- Buri Baat Haiby Prashant V Shrivastavaसदाक़त में भी ज़िंदा हो, बड़ी बात है यहाँ तो अच्छा होना ही बुरी बात है
- Woh AankheiNby Prashant V Shrivastavaवो आँखें भुला दें कैसे कहो किसी भी ग़ज़ल में उतरती नहीं जो उठते हैं पलकों के परदे ज़रा निशाने से पहले ठहरतीं नहीं
- Khwaab Dekha Keejiyeby Prashant V Shrivastavaफूलों से मिलिये चाँद से बातें कीजिए हक़ीक़त में सुंदर होते हैं ख़्वाब देखा कीजिए
- Khoobsurati Ki Intehaaby Prashant V Shrivastavaवो गहरी ज़ुल्फ़ों के छल्लों का उसके रुख़सार से खेलना जन्नत की ख़ूबसूरती की इंतहा, इस मंज़र का क़तरा भर है
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