हर दर्द जो, दिल के, समंदर से उठता है
वो आँखों के आसमान से बरस नहीं पाता
हर दर्द जो, दिल के, समंदर से उठता है
वो आँखों के आसमान से बरस नहीं पाता
वीरान पड़े रहते हैं रस्ते
जो दिल से आँख तक जाते हैं
अभी कुछ दिन पहले तक जो
ज़मीं से चाँद तक जाते थे
तनहा इस आलम पर कोई तरस नहीं खाता
वो आँखों के आसमान से बरस नहीं पाता
कुछ जज़्बों में हिम्मत होती है
वो पलकों को झुका लेते हैं
वो जल्दी शाम कर लेते हैं
और आँखों को बुझा लेते है
ये दर्द की ज़िन्दगी, कोई समझ नहीं पाता
वो आँखों के आसमान से बरस नहीं पाता
Prashant V Shrivastava
Categories: Love Shayeri, Small Verses / Mukhtsar Kalaam