शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर या वो जगह बता जहाँ पर ख़ुदा नहीं

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shayarana1एक ही विषय पर 6 महान शायरों का नजरिया –
Mirza Ghalib :
“शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या वो जगह बता जहाँ पर ख़ुदा नहीं”
Iqbal :
“मस्जिद ख़ुदा का घर है, कोई पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ पर ख़ुदा नहीं ”
Ahmad Faraz :
“काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर वहाँ पर जगह नही,
खुदा मौजूद है वहा भी, काफिर को पता नहीं ”
Wasi : “खुदा तो मौजूद दुनिया में कही भी जगह नही,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं ”
Saqi :
“पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए अौर कुछ नही,
जन्नत में कहाँ ग़म है वहाँ पीने में मजा नहीं”
Sharabi:
“हम पीते हैं मज़े के लिए, बेवजह बदनाम गम है,
पुरी बोतल पीकर देखों, फिर दुनिया क्या जन्नत से कम है